गरिमा और मर्यादा
राजनीती और राजनीतिज्ञों के नौटंकी का देखकर विवशता और क्रोध आता है. ये हमारी प्रतिनिधि हैं. इनको हम अपना वोट देकर हम अपने समाज और देश को आगे ले जाने का दायित्व सौंपते हैं. लेकिन ये सिर्फ हमारी ग़लतफ़हमी है. आज की राजनीती ने लोकतंत्र के चुनाव की प्रक्रिया को इस मोड़ पे ला खड़ा कर दिया है की आप सबसे ख़राब लोगों में से सबसे कम ख़राब उम्मीदवार चुनते हैं.
राजनीतिज्ञों की सबसे बड़ी जीत और लोकतंत्र की सबसे बड़ी हार है की आम आदमी राजनीती में जाना नहीं चाहता है. जीत के लिए जिस तरह से अपने आप को निचे गिराना पड़ता है वो सभी के लिए संभव नहीं है.
विगत दो महीनो में मैं चुनाव के दौरान हुए बयान-बाजी और आरोप-प्रत्यारोप को सुन रहा हूँ. सुन के सिर्फ यही लगता है की कैसे इन गरिमा और मर्यादाहीन लोगो से सम्यक आचरण की उम्मीद कर सकतें हैं. कोई भी व्यक्ति अपने सभ्यता और मर्यादा को ध्यान में रखते हुए इस प्रक्रिया में जीत की उम्मीद नहीं रख सकता.
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