ऊन्मुक्त

कुछ स्वछ्न्द विचार और उन्मुक्त चिन्तन

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बुधवार

वापसी

बहुत दिनों बाद फिर से हिंदी में लिखने का मन किया और हमें इस पुराने चिठ्ठे की याद आई. शायद जीमेल के हिंदी लिखने को और आसान बना देने के कारण इस बार ज्यादा आलस्य नहीं हुआ क्योंकि इस से पहले जब भी हिंदी मैं लिखने की इच्छा हुई , एक अदद हिंदी में चिठ्ठा लिखने वाले कंप्युटर प्रोग्राम के आभाव में इच्छा दम तोड़ गई . ये चिठ्ठा भी मैं अपने मेल के द्वारा ही प्रेषित करने वाला हुं, काफी अच्छी सुविधा है मेल बॉक्स में लिखें और blogger के द्वारा दिए गए पते पर भेज दें और आपका चिठ्ठा ऑनलाइन हो गया.

जैसे जैसे मैं हिंदी लिख रहा हुं मुझे एहसास हो रहा है की मातृभाषा में लगभग १० साल बाद लिखना सुखद अनुभव लग रहा है लेकिन अपनी वर्तनी और व्याकरण काफी कमजोर महसूस हो रहें हैं , शायद १० साल की अपेक्षा की कीमत है ये. कोशिश करूँगा की मैं फिर से अपनी हिंदी को वांछित स्तर तक ले जाऊं, आखिरकार मैंने अपनी प्रारंभिक १२ सालों की शिक्षा हिंदी माध्यम से ही प्राप्त की थी.

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