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रविवार

वोट दे, साष्टांग समर्पण न करें


अधिकतर लोग और हमारे नीति निर्माता गैर सरकारी संस्थायों (NGOs) की विदेशी फंडिंग का इसलिए विरोध करतें हैं की वो विदेश फंडिंग पा कर विदेश हित में काम करेंगे.. ध्यान रहे NGOs सिर्फ नीतियों को प्रभावित कर सकतें हैं, नीतियां बना नहीं सकते. लेकिन जो नीति निर्माता है, जो देश चलातें हैं उनकी विदेशी फंडिंग के बारे में बात नहीं होती है. हमारी न्यायपालिका ने जब बीजेपी और कांग्रेस दोनों के विदेशी फंडिंग में अनियमितता पायी और जांच के आदेश दिए तो इन दोनों पार्टियों ने कंधे से कन्धा मिलकर देश हित को ताखे पे रख अपने हित के लिए ऐसा बिल पास किया है  जो ना सिर्फ राजनितिक पार्टियों की विदेशी फंडिंग की अनुमति देता है बल्कि पूर्वप्रभाव (retrospection) से नियमित करता है.मतलब दोनों कोंग्रेस और बीजेपी जिनके फंडिंग में अनियमितता पायी गयी थी अब निर्दोष हो जाएँगी.
राजनितिक प्रक्रिया में वोट देना आवश्यक है इसलिए वोट दे लेकिन साष्टांग समर्पण न करें. देश भक्त बने, राजनितिक पार्टियों के सेवक न बने.
वोट दे कर हम राजनितिक पार्टियों से यह अधिकार खरीदतें है की हम उनके हरेक कदम की समीक्षा कर सकें और उनके निर्णयों पे प्रश्न उठा सकें. राजनितिक दल हमसे वोट ही नहीं हमसे हमारा साष्टांग सम्पूर्ण समर्पण चाहतें है. इसलिए नहीं की वो देश हित में काम करें, बल्कि इसलिए की जब वो अपने हित में काम करे हम सवाल न पूछें.


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